Mantras 2021

 श्री गणेश का महामंत्र और उसका अर्थ 

किसी भी कार्य को करने से पहले श्री गणेश का महामंत्र को बोलने से उस कार्य की सभी गड़बड़ियां दूर हो जाती हैं। इस मंत्र को बोलना आसान है और हर संस्कृत नहीं जानने वाले लोग भी इस मंत्र का पाठ कर सकते हैं।

इस मंत्र को बोलने से पूजा पूर्ण होती है और गणेश जी भी जल्दी प्रसन्न हो जाते हैं।

आइए, जानते हैं इस महान मंत्र का अर्थ -

वक्रतुण्ड महाकाय सूर्यकोटि समप्रभ निर्विघ्नंम कुरु मे देव सर्वकार्येषु सर्वदा॥

अर्थ — घुमावदार सूंड वालेविशाल शरीर कायकरोड़ सूर्य के समान महान प्रतिभाशाली।

मेरे प्रभुहमेशा मेरे सारे कार्य बिना विघ्न के पूरे करें (करने की कृपा करें) ॥

Meaning in English — O Lord Ganesha, who has a huge body, curved elephant trunk and whose brilliance is equal to billions of Suns, May always removes all obstacles from my endeavors.

नवग्रहों के बीज मंत्र, एकाक्षरी बीज मंत्र, गायत्री मंत्र और दान की वस्तुएँ।


सूर्य/रवि

सूर्य मंत्र  ह्रां ह्रीं हौं : सूर्याय नम:’

एकाक्षरी बीज मंत्र  घृणि: सूर्याय नम:’

सूर्य गायत्री मंत्र  भास्कराय विदमहे। महाद्युतिकराय धीमहि| तननौ आदित्यः प्रचोदयात्॥

जप संख्या 7000

दान की वस्तुएँ माणिक्य, गेहूं, लाल दाल, कमल, गुड़, ताम्र, लाल कपड़े, लाल पुष्प, सुवर्ण।

  

चंद्र/ सोम

चंद्र मंत्र   श्रां श्रीं श्रौं : चन्द्रमसे नम:’

चंद्र एकाक्षरी मंत्र  सों सोमाय नम:’

चंद्र गायत्री मंत्र — ‘   क्षीर-पुत्राय विदमहे अमृत-तत्वाय धीमहितननौ  चन्द्र: प्रचोदयात'||

जप संख्या 11,000

दान की वस्तुएँ चावल, दूध, दही, सफेद कपड़ा, सफेद मोती, कपूर, घी, शंख।

 

 

मंगल/भौम

मंगल मंत्र   ' क्रां क्रीं क्रौं : भौमाय नम:'

मंगल एकाक्षरी मंत्र  अं अंगारकाय नम:’

मंगल गायत्री मंत्र अंगारकाय विदमहे शक्ति-हस्ताय धीमहि| तननौ भौमः प्रचोदयात् ||

जप संख्या 1000

दान की वस्तुएँ गेहूं, लाल मसूर, लाल वस्त्र, गुड़, ताम्र।

 

 बुध

बुध मंत्र ' ब्रां ब्रीं ब्रौं : बुधाय नम:'

बुध का एकाक्षरी मंत्र ' बुं बुधाय नम:'

बुध गायत्री मंत्रऊँ विद्या राजाय विदमहे चन्द्र पुत्राय धीमहि| तननौ बुध: प्रचोदयात ||

जप संख्या 9,000

दान की वस्तुएँ हरी वस्तुएँ , हरी मूंग, हरा वस्त्र, कांस्य, बजरा ।

 

गुरु/बृहस्पति

बृहस्पति मंत्र ' ग्रां ग्रीं ग्रौं : गुरवे नम:'

बृहस्पति का एकाक्षरी मंत्र ' ब्रं बृहस्पतये नम:'

बृहस्पति गायत्री मंत्र वाचस्पताय विदमहे बुद्धि मूलाय धीमहि, तननौ गुरो: प्रचोदयात ||

जप संख्या 19,000

दान की वस्तुएँ अश्व, शर्करा, हल्दी, पीला वस्त्र, पीतधान्य, पुष्पराग, लवण।

 

शुक्र

शुक्र मंत्र ' द्रां द्रीं द्रौं : शुक्राय नम:'

शुक्र का एकाक्षरी मंत्र ' शुं शुक्राय नम:'

शुक्र गायत्री मंत्र कामदेवाय विदमहे शुभ-करमाय धीमहि| तननौ शुक्र: प्रचोदयात ||

जप संख्या 16,000

दान की वस्तुएँ चावल, दूध, दही, सफेद कपड़ा, हीरा, रौप्य, सुगंध, घी।

 

 शनि

शनि मंत्र ' प्रां प्रीं प्रौं : शनये नम:'

शनि का एकाक्षरी मंत्र ' शं शनैश्चराय नम:'

शनि गायत्री मंत्र शनैशचराय विदमहे सूर्यपुत्राय धीमहि| तननौ शौरी: प्रचोदयात ||

जप संख्या 23000

दान की वस्तुएँ तिल, तेल, कुलित्, महिषी, श्याम वस्त्र, लौहपात्र।

 

राहु

राहु मंत्र ' भ्रां भ्रीं भ्रों : राहवे नम:'

राहु का एकाक्षरी मंत्र ' रां राहुवे नम:'

राहु गायत्री मंत्र शिरोरुपाय विदमहे अमृतेशाय धीमहि| तननौ राहु: प्रचोदयात ||

जप संख्या 18,000

दान की वस्तुएँ गोमेद, अश्व, कृष्णवस्त्र, कम्बल, तिल, तेल, लोहा, अभ्रक।

 

केतु

केतु का तांत्रिक मंत्र ' स्रां स्रीं स्रों : केतवे नम:'

केतु का एकाक्षरी मंत्र ' के केतवे नम:'

केतु गायत्री मंत्र पद्म्पुत्राय विदमहे अमृतेशाय धीमहि| तननौ केतु: प्रचोदयात ||

जप संख्या — 17,000

दान की वस्तुएँतिल, कंबल, कस्तूरी, शस्त्र, नीम वस्त्र, तेल, कृष्णपुष्प, छाग।

 

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